कोयला गैसीकरण पर पोस्‍ट-बजट वेबिनार का आयोजन चार मार्च को, इन विषयों पर होगी चर्चा

भारत में कुल 307 बिलियन टन थर्मल कोयले का भंडार है और उत्पादन किए गए लगभग 80 प्रतिशत कोयले का थर्मल विद्युत संयंत्रों में उपयोग किया जाता है।

नई दिल्ली, 02 मार्च। कोयला गैसीकरण और कोयले को तकनीकी तथा वित्तीय व्‍यवहार्यता में शामिल उद्योग की स्‍थापना के लिए आवश्‍यक रसायनों में परिवर्तित करने के लिए चार पायलट परियोजनाओं’ के बारे में वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण में की गई घोषणाओं के अनुपालन में कोयला मंत्रालय 4 मार्च, 2022 को एक वेबिनार का आयोजन कर रहा है।

इस वेबिनार में उद्योग, शैक्षणिक समुदाय, अनुसंधान संगठनों के विशेषज्ञ और इंजीनियरिंग सलाहकारों के साथ-साथ व्यवसायी, राज्य सरकार के अधिकारी तथा अन्य हितधारक नीति निर्माताओं के साथ‍ मि‍लकर कोयला मंत्रालय के गैसीकरण मिशन को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए आगे के रास्‍ते के बारे में विचार-विमर्श करेंगे।

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हितधारक संगठनों के लगभग पचास विशेषज्ञ इस वेबिनार में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और विचार-विमर्श करेंगे जिसमें कोयला मंत्रालय के सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन सभापति (माडरेटर) होंगे। इस वेबिनार का उद्देश्य निम्नलिखित विषयों पर विचार-विमर्श करना है:-

  • कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • संचालन का अर्थशास्त्र/नीतिगत सहायता
  • गैसीकरण उत्पादों का विपणन
  • निवेशक परिप्रेक्ष्य: सार्वजनिक और निजी क्षेत्र
  • गैसीकरण के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास
  • कोयले से ब्लू हाइड्रोजन (कोयला गैसीकरण + सीसीयूएस)

भारत में कुल 307 बिलियन टन थर्मल कोयले का भंडार है और उत्पादन किए गए लगभग 80 प्रतिशत कोयले का थर्मल विद्युत संयंत्रों में उपयोग किया जाता है। कोयला एक ऐसा संसाधन है जिसकी भारत में पर्याप्‍त उपलब्‍धता है।

देश पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके से ऊर्जा उत्पादन के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए भी कोयले का उपयोग करने का इरादा रखता है। जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास पर वैश्विक चिंताओं के साथ-साथ कोयले के सतत उपयोग के लिए इसके विविधीकरण की देश के भविष्‍य के लिए पहचान की गई है।

कोयला गैसीकरण को एक स्वच्छ विकल्प माना जाता है, जो कोयले के रासायनिक गुणों के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है। कोयले से उत्पादन की गई सिन गैस का हाइड्रोजन (ब्‍लू हाइड्रोजन के साथ-साथ सीसीयूएस), स्थानापन्न प्राकृतिक गैस (एसएनजी या मीथेन), डाई-मिथाइल ईथर (डीएमई), तरल ईंधन जैसे मेथनॉल, इथेनॉल, सिंथेटिक डीजल और मेथनॉल डेरिवेटिव, ओलेफिन, प्रोपलीन, मोनो-एथिलीन ग्लाइकोल (एमईजी) जैसे रसायन अमोनिया सहित नाइट्रोजन उर्वरकों, विद्युत उत्पादन सहित डीआरआई और औद्योगिक रसायनों के उत्‍पादन में उपयोग किया जा सकता है।

ये उत्पाद आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद करेंगे। उपरोक्त उद्देश्य के अनुरूप, कोयला मंत्रालय ने कोयला गैसीकरण के लिए पहल की है और इसने वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए राष्‍ट्रीय मिशन दस्‍तावेज तैयार किया है।

कोयला गैसीकरण को प्रोत्साहित करने वाली नीति कोयला ब्लॉक नीलामी में राजस्व हिस्सेदारी में छूट प्रदान करती है और इसके लिए जुड़ाव भी उपलब्‍ध कराती है।

वर्तमान में, जेएसपीएल इस नीति के कार्यान्वयन में सबसे उन्नत चरण में है। यह मूविंग बेड/फिक्स्ड बेड ड्राई बॉटम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अंगुल (ओडिशा) में गैस आधारित डीआरआई संयंत्र का संचालन कर रहा है।

इस प्रौद्योगिकी में घरेलू हाई एश कोयला गैसीकरण का उपयोग किया जा रहा है जबकि तलचर फर्टिलाइजर लिमिटेड (टीएफएल) एंट्रेंड बेड टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए यूरिया उत्‍पादन के लिए हाई एश घरेलू थर्मल कोयले में पेट कोक के मिश्रण के साथ निर्माणाधीन है।

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कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने मेथनॉल और अमोनियम नाइट्रेट के वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन हेतु चार परियोजनाएं स्‍थापित करने की योजना बनाई है। बीओओ आधार पर एजेंसी की नियुक्ति के लिए दो परियोजनाओं हेतु निविदाएं जारी की गई हैं।

इस वेबिनार के माध्‍यम से कोयला मंत्रालय कार्यान्‍वयन गति में तेजी लाने और जल्द-से-जल्द गैसीकरण एजेंडे को प्राप्‍त करने के तरीकों के बारे में बहुमूल्‍य सुझाव प्राप्‍त करना चाहता है।

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