नई दिल्ली, 11 फरवरी। डा. जी संजीवा रेड्डी के नेतृत्व वाले इंटक से सम्बद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन (INMF) की जेबीसीसीआई- XI में एंट्री आसान नहीं है। इंटक की राह में कई रोड़े हैं। सबसे बड़ा रोड़ा तो इंटक का दूसरा और तीसरा गुट है, इनमें एक गुट कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

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शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एक फैसला सुनाया, जिसमें कोल इंडिया प्रबंधन को राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन (इंटक) को जेबीसीसीआई- XI में शामिल करने का आदेश जारी दिया गया है। INMF द्वारा जून, 2021 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया गया है। हालांकि अभी तक हाईकोर्ट के आदेश की प्रति सामने नहीं आई है। संभवतः यह फैसला सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड होगा। शुक्रवार को आदेश की जानकारी राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के अधिवक्ता ने ईमेल के जरिए प्रदान की।

इधर, बताया गया है कि इंटक के दूसरे गुट ददई दुबे द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही गई है। दअसल इंटक के तीन गुट क्रियाशील हैं। असली और नकली इंटक की लड़ाई लंबे समय से चल रही है। इससे संबंधित 6- 6 केस दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। हालांकि कांग्रेस ने डा. जी संजीवा रेड्डी के नेतृत्व वाले इंटक को मान्यता दे रखी है। पार्टी की ओर दुबे और तिवारी गुट से सुलह की भी कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं बनी।

दूसरी यह भी बताया जा रहा है कि कोयला मंत्रालय इंटक को कोल इंडिया की सबसे बड़ी कमेटी जेबीसीसीआई में प्रवेश नहीं करने देगा। इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं। राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष एवं झारखण्ड से कांग्रेस के विधायक कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी के निशाने पर हैं। इंटक को जेबीसीसीआई में आने से रोकने और मामले को उलझाने के लिए राजनीतिक के साथ तकनीकी ताकत भी झोंकी जाएगी। आरएसएस से सम्बद्ध बीएमएस भी नहीं चाहेगा कि इंटक जेबीसीसीआई में अपनी जगह बनाए। क्योंकि इससे कई समीकरण बनेंग और बिगड़ेंगे।

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राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन (इंटक) के महासचिव एसक्यू जमा ने शुक्रवार को कहा था कि इंटक की ओर से कैविएट दायर करने की भी तैयारी की जा रही है। संभवतः यह कैविएट सोमवार दाखिल किया जाएगा। बहरहाल कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश की प्रति सामने आने के बाद स्थितियां और स्पष्ट होंगी।

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