रायपुर, 20 जुलाई। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित परसा और परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक का मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठा है। सरकार ने बताया है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में तीन लाख 22 हजार से ज्यादा वृक्षों की कटाई होगी। यहां बताना होगा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल ब्लॉक आबंटन को लेकर निरंतर विरोध हो रहा है और आंदोलन चल रहा है।

विधायक डा. रेणु जोगी ने मामले को उठाया और से पूछा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा ब्लॉक और परसा ईस्ट केते बासन ब्लॉक (PEKB) के दूसरे चरण की खनन की अनुमति राज्य सरकार द्वारा कब जारी की गयी है? हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के लिए कितने वृक्षों की कटाई होनी है? खनन के लिए हो रहे पर्यावरण को नुकसान की भरपाई के लिए क्या कदम उठाये गए हैं?

इन सवालों का राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने लिखित जवाब दिया, जो इस प्रकार है :

परसा कोल ब्लॉक – विभागीय पत्र क्रमांक एफ 3-17 / 2016 / 12, दिनांक 28.01.2017 द्वारा मेसर्स राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पक्ष में जिला सरगुजा एवं सूरजपुर स्थित परसा कोल ब्लॉक के रकबा 1252.447 हे. क्षेत्र पर खनिज कोयला का खनिपट्टा स्वीकृति हेतु भारत सरकार, कोयला मंत्रालय को पूर्वानुमोदन प्रस्ताव प्रेषित किया गया। भारत सरकार, कोयला मंत्रालय के पत्र दिनांक 13.07.2018 द्वारा उक्त कोल ब्लॉक के संबंध में सीबीए एक्ट के तहत कार्यवाही किया जाना है। उक्त कोल ब्लॉक के क्षेत्र पर राज्य शासन द्वारा खनिपट्टा स्वीकृत न किया जाकर सीधे भारत सरकार, कोयला मंत्रालय द्वारा ही सीबीए एक्ट के तहत खनन का अधिकार दिया जाना है। परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक विभागीय पत्र क्रमांक एफ 3-9/2015/12, दिनांक 02.11.2015 द्वारा मेसर्स राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पक्ष में जिला सरगुजा स्थित परसा ईस्ट एवं केटे बासेन कोल ब्लॉक के रकबा 2388.525 हे. क्षेत्र पर खनिज कोयला का खनिपट्टा 30 वर्ष की अवधि के लिये स्वीकृत किया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रश्न में उपर्युक्त दोनों कोल ब्लॉक के दूसरे चरण की खनन की अनुमति की जानकारी चाही गई है, खनिज सार्धेन विभाग द्वारा चरणों में स्वीकृति जारी नहीं की जाती है, बल्कि सभी अनुमतियों के पश्चात खनिपट्टा स्वीकृति आदेश जारी किया जाता है।

हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के लिए वर्तमान में स्वी परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोयला खदान हेतु लगभग 2,22,921 वृक्ष एवं परसा कोयला खदान हेतु लगभग 99,107 वृक्ष कुल 3,22,028 वृक्षों की कटाई होनी है। खनन के लिए हो रहे पर्यावरण को नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार द्वारा अधिरोपित शर्तों के अनुसार वैकल्पिक वृक्षारोपण, सेफ्टी जोन क्षेत्र के बदले डेढ़ गुना क्षेत्र में वृक्षारोपण, मृदा भू संरक्षण, वन्यप्राणी प्रबंधन योजना अनुरूप कार्य, खनन क्षेत्र समतलीकरण उपरांत वृक्षारोपण एवं पर्यावरण स्वीकृति अंतर्गत वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है। परसा ईस्ट केते बासन के प्रकरण में पर्यावरण संरक्षण के लिए माईन वाटर (माईन डिवाटरिंग) के उपचार हेतु दूषित जल उपचार संयंत्र, वर्कशॉप से उत्पन्न दूषित जल के उपचार हेतु संयंत्र, वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु विभिन्न डस्ट उत्सर्जन बिन्दुओं पर डस्ट सप्रेशन सिस्टम, ड्राईफाग सिस्टम, जल छिड़काव की व्यवस्था, कन्वेयर बेल्ट को कव्हर्ड किया जाना, लीज क्षेत्र के भीतर मुख्य आंतरिक मार्गों का पक्कीकरण किया जाना, रोड़ की सफाई तथा वृक्षारोपण की कार्यवाही की गई है। परसा ओपन कास्ट प्रकरण में पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत उद्योग द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु जल छिड़काव की व्यवस्था की गई है तथा शेष कार्यो के लिए समयबद्ध कार्ययोजना के साथ बैंक गारंटी प्रस्तुत की गई है।

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