नई दिल्ली, 09 अप्रेल। पटना में आयोजित हुए भारतीय मजदूर संघ (BMS) के तीन दिवसीय 20वें त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में श्रमिक हितों को लेकर कई प्रस्ताव पारित किए गए।

राष्ट्रीय अधिवेशन में निम्न प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए तथा केन्द्र एवं राज्य सरकारों से इसे लागू करने की मांग रखी, देखें प्रस्ताव :

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को अति शीघ्र लागू किया जाए।
  • उल्लेखित श्रमिक अधिनियमों का कड़ाई से समय सीमा के भीतर पालन सुनिश्चित की जाए।
  • सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, आवास रोजगार की सुविधा मुहैया हो सके, इस हेतु सरकार द्वारा लागू की गई स्कीम्स के क्रियान्वयन हेतु ठोस प्रशासनिक नीति का निर्माण किया जाए तथा पर्याप्त धनराशि का आवंटन किया जाए।
  • असंगठित क्षेत्र के लिए अलग से राज्य स्तर पर “लेबर वेलफेयर फंड बोर्ड“ का गठन किया जाए तथा इनमें कृषि, मत्स्य, स्ट्रीट वेंडर, घरेलू कामगार अन्य को समाहित किया जाए।
  • भारतीय श्रम सम्मेलन के 45वें सत्र की सिफारिश को लागू किया जाए, जिसके तहत आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील, सर्व शिक्षा अभियान एवं अन्य स्कीम वर्कर की सेवा शर्तों के साथ वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ इन्हें मिल सके। स्वनियोजित कामगारों एवं स्कीम वर्कर को पेंशन के दायरे में लाया जाए तथा इसे महंगाई के साथ लिंक किया जाए।
  • अंतिम वेतन के 50 फीसदी राशि के बराबर पेंशन दिया जाए। पेंशन को महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए तथा पेंशन राशि का समय समय पर पुनर्निर्धारण किया जाए।
  • राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा स्वायत्त संस्थान स्थापित करने पर विचार किया जाए।
  • नवोन्मेषी वित्त पोषण प्रणाली के साथ सामाजिक क्षेत्र की निवेश योजना का विकास किया जाए।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजना लागू की जाए ताकि आम नागरिक को स्वास्थ्य संबंधी महंगे इलाज से राहत मिल सके।

अधिवेशन में भारतीय मजदूर संघ ठेका श्रम (निवारण और नियमितिकरण) नियम 1970 में निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित किए गए :

  • किसी भी सरकार के लिए कानून बनाना ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि कानून की पालना सुनिश्चित करना भी उसका दायित्व होता है। ठेका श्रम कानून 1970 की प्रभावी और कठोरता से पालन कराया जाए।
  • ठेका श्रम कानून को लागू होने के लिए संस्थान में 20 या इससे अधिक ठेका श्रमिक कार्यरत होना आवश्यक है। इससे नियोक्ता द्वारा इनकी वास्तविक संख्या को छिपाया जाता है। अतः यह प्रावधान हटाया जाए।
  • देश के संविधान और सर्वोच्य न्यायालय के निर्देशानुसार समान कार्य समान वेतन“ के सिद्धांत को लागू किया जाए। उपरोक्त अधिनियम के केन्द्रीय नियमों (नियम 25 ) में इसका उल्लेख तो है पर इसकी पालना नहीं होता है। अंत समान कार्य का समान वेतन का प्रावधान अधिनियम में शामिल कर इसे अनिवार्य बनाया जावे। स्थायी प्रकति के कार्य और कोर एक्टीविटिज को और स्पष्ट किया जाए ताकि ऐसे कार्यों में ठेका अनिकों के नियोजन पर रोक लगाई जा सके।
  • बिन्दु संख्या 4 का उल्लंघन करने पर तथा सरकार अथवा न्यायालय द्वारा ठेका श्रम प्रतिबन्धित करने पर हटाये गये ठेका श्रमिकों का नियमितिकरण किया जाए तथा सेवा अवधि में ठेका श्रमिक के वेतन और नियमित श्रमिक के वेतन का अन्तर क्षतिपूर्ति के रूप में देने का प्रावधान कानून में किया जावे ताकि कानून के उल्लंघन पर रोक लगाई जा सके।
  • ठेका श्रम कानून 1970 की धारा 35 में आपातकालीन स्थिति में सरकार को इस कानून में छूट देने का अधिकार दिया गया है। सामान्यतः इस अधिकार का दुरुपयोग अधिक होता है। अतः आपातकालीन स्थिति को और स्पष्ट कर इसके अनुचित उपयोग पर रोक लगाई जाए।
  • ठेका श्रमिकों का संस्थान अथवा सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान का न्यूनतम वेतन देय हो ऐसा प्रधान कानून में लाया जाये तथा लगातार सेवा के आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि का प्रावधान लागू किया जाए।

अधिवेशन में निम्न प्रस्ताव भी लाए गए :

  • असंगठित और संगठित पूरे श्रम क्षेत्र के लिए श्रम नीति और कानून बने।
  • पारस्परिक समझौतों और सामूहिक सौदेबाजी को प्रोत्साहन मिले।
  • औद्योगिक शांति बनाये रखने को प्राथमिकता दी जाए।
  • सामाजिक सुरक्षा के उचित मापदण्डों का निर्धारण हो।
  • श्रम कानून की पालना और श्रम विवाद के निपटारे की समयबद्ध व्यवस्था सुनिश्चित हो।
  • प्रबंधकीय  व्यवस्था में श्रम की भागीदारी सुनिश्चित हो।
  • त्रिपक्षीय विचार विमर्श के लिए प्रभावी फोरम बनाया जाए। आईएलसी का आयोजन साथ ही त्रिपक्षीय फोरम द्वारा दी गई आम सहमति को लागू किया जाए।
  • उच्च शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक कौशल और प्रशिक्षण की प्रभावी और परिणामदाई व्यवस्था लागू की जाए।
  • देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर नियन्त्रण करने के लिए नये रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं।
  • न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर जीविका मजदूरी तय की जाए।
  • आर्थिक विकास के लाभों में मजदूरों की अनुपातिक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।
  • मजदूरी दर में अंतर समाप्त किया जाए।
  • व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के मानक तय हों।
  • श्रम कानूनों की पालन सुनिश्चित किया जाए।
  • राष्ट्रीय श्रम नीति निर्माण के लिए त्रिपक्षीय फोरम बनाया जाए।

राष्ट्रीय अधिवेशन में बीएमएस ने भारत सरकार के समक्ष मांग रखी कि देश की आर्थिक नीति में न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर जीविका मजदूरी तय करना शामिल किया जाए। भारतीय मजदूर संघ ने सरकार को चेतावनी भी दी कि अधिवेशन में पारित प्रस्तावों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो राष्ट्रव्यापी श्रम आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

  • Website Designing