एनटीपीसी कोरबा ने पानी की खपत में लाई भारी कमी, विद्युत उत्पादन लक्ष्य किया पार

प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ राज्य के जल संसाधन विभाग से आबंटित जल की मात्रा 93 मिलियन क्यूबिक मीटर को घटाकर 70 मिलियन क्यूबिक मीटर करने कहा है।

कोरबा, 20 मार्च। 2600 मेगावाट क्षमता वाले एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन ने जल संरक्षण के कई उपाय कर खपत की मात्रा में कमी लाई है। प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ राज्य के जल संसाधन विभाग से आबंटित जल की मात्रा 93 मिलियन क्यूबिक मीटर को घटाकर 70 मिलियन क्यूबिक मीटर करने कहा है।

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रविवार को एनटीपीसी कोरबा के कार्यपालक निदेशक बिश्वरुप बसु ने कोरबा प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी। श्री बसु ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा द्वारा प्रगतिनगर क्षेत्र में 6 एकड़ भूमि दूषित जल उपचार संयंत्र के लिए निगम को आबंटित की जा रही है। दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना के लिए प्रबंधन नगर पालिक निगम को 14.17 करोड़ रुपए प्रदान करेगा। प्रबंधन नगर पालिक निगम से 20 एमएलडी उपचारित जल भी लेगा। इससे नदी से लिए जा रहे पानी में कमी आएगी।

श्री बसु ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा ने चालू वित्तीय वर्ष का विद्युत उत्पादन लक्ष्य हासिल कर लिया है। 19 मार्च की स्थिति में 20,554 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर लिया गया था। जबकि वार्षिक लक्ष्य 20,506 मिलियन यूनिट का है। इसी तरह संयंत्र ने प्लांट लोड फैक्टर (PLF) 92.31 प्रतिशत दर्ज किया है। पीएलएफ का टारगेट 90.2 फीसदी दिया गया है।

श्री बसु ने बताया कि गर्मी के सीजन में बिजली की मांग में बढ़ोतरी होगी। इसे देखते हुए संयंत्र के मेंटेनेंस कार्य पूरा कर लिया गया है। हमारी प्राथमिकता इकाइयों के रखरखाव की है। ताकि बिजली की आपूर्ति सुचारू रहे और इसकी लगात भी कम हो।

कार्यपालक निदेशक ने कहा कि कोरबा संयंत्र 40 साल पुराना है। इसके बावजूद संयंत्र देश में 11 माह तक एक नम्बर पर रहा, लेकिन वर्तमान में स्थिति दूसरे स्थान की है। प्लांट लोड फैक्टर 93.42 प्रतिशत तक जा सकता है। एनटीपीसी कोरबा सबसे सस्ती बिजली उपलब्ध कराता है। संयंत्र का ग्रीड लॉस एक फीसदी है।

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श्री बसु ने बताया कि राख की उपयोगिता का प्रतिशत 55 से 60 फीसदी के बीच है। एनएचआई द्वारा निजी संयंत्रों से राख ली जा रही है। राज्य की कुछ सड़कों में राख की खपत होगी। एसईसीएल मानिकपुर में खदान भराव में राख का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन एसईसीएल द्वारा डोजर इत्यादि भारी मशीनें उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण इसमें बाधा आ रही है। श्री बसु ने CSR के तहत किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी।

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