रायपुर (IP News). सोमवार को रायपुर स्थित कैम्पियन स्कूल विधानसभा रोड में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के द्वारा किसान विरोधी कृषि कानूनों से उत्पन्न संकट, चुनौतियां एवं कृषि कानूनों पर राज्य सरकार की भूमिका विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े 25 घटक संगठनों के प्रतिनिधि एवं किसान शामिल हुए।

संगोष्ठी में सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव पारित किए गए:

1. चूंकि राज्य सरकार 1 दिसंबर से पहले धान खरीदी के लिए तैयार नही हैं और प्रदेश के छोटे किसान अल्प अवधि की फसल को रोके रखने के लिए सक्षम नही हैं, जिससे वे न केवल राज्य सरकार द्वारा देय 2500 रुपये प्रति क्विंटल से वंचित हो रहे है, बल्कि मंडी में भी केंद्र द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित हो रहे है। इसलिए राज्य सरकार तुरंत अधिसूचना जारी करे कि मंडियों में केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे धान खरीदी अपराध है, ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।

2. संगोष्ठी में यह बात सामने आई है कि प्रदेश में हजारों एकड़ भूमि ऐसी हैं, जो विभिन्न परियोजनाओं के तहत सालों पहले अधिग्रहित तो की गई है, लेकिन आज तक किसानों का भौतिक कब्जा बरकरार है। लेकिन ऐसे किसानों द्वारा उत्पादित धान को सरकार खरीदने के लिए तैयार नहीं है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन इस तरह के मामलों में धान खरीदी की विशेष व्यवस्था करने की मांग सरकार से करती है।

3. यह संगोष्ठी राज्य सरकार द्वारा मंडी कानून में किए गए संशोधन को अपर्याप्त मानती है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों से किसान समुदाय पर पड़ने वाले दुष्प्रभावो को निष्प्रभावी नहीं करती । राज्य का कानून मंडी क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य तक सुनिश्चित नही करता । अतः यह संगोष्ठी किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक समग्र कानून बनाने की मांग करती है ।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को किसानों पर सबसे बड़ा हमला बताते हुए इसके खिलाफ पूरे प्रदेश के किसानों और किसान संगठनों को लामबंद करने का निर्णय लिया गया। सीबीए ने कहा है कि ये कानून न केवल कृषि व्यवस्था को ध्वस्त कर उसका कारपोरेटीकरण करेंगे, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह करेंगे और खाद्य संकट को पैदा करेंगे। इस कानून के बारे में राज्यों से विचार-विमर्श तक न करना इस सरकार के अलोकतांत्रिक रवैये को ही प्रदर्शित करता है।

संगोष्ठी में आलोक शुक्ला, नंद कश्यप, आनंद मिश्रा, सुदेश टीकम, संजय पराते, बृजेन्द्र तिवारी, दीपक साहू, सी के खांडे, उमेश्वरसिंह अर्मो, घनश्याम वर्मा, नरोत्तम शर्मा, रमाकांत बंजारे, शालिनी गेरा, विजय भाई, जन साय पोया, एस आर नेताम आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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