नई दिल्ली. ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के आह्वान पर 15 अक्टूबर को देश भर के सभी स्टेशनों पर स्टेशन मास्टरों ने बत्ती बुझाकर और मोमबत्ती जलाकर अपना आक्रोश जाहिर किया. इस दौरान स्टेशन मास्टरों ने रेलवे बोर्ड तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया कि बार-बार लिए गए जा रहे गलत फैसलों के कारण रेलकर्मियों में गहरी नाराजगी है जो लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में मोमबत्ती जलाकर रेल प्रशासन जागो आंदोलन की शुरुआत की गयी है.

ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे ने अपने बयान में कहा कि प्रशासन लगातार रेलवे के निजीकरण के फैसले ले रहा. कर्मचारियों के बार-बार आंदोलन के बावजूद रेल प्रशासन निजीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार करने या वापस लेने को तैयार नहीं. करोना को कारण बताकर उनके दो साल का DA बंद कर दिया गया. पूरे देश में जब लॉकडाउन था तब रेलकर्मी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी पर थे और सही इंश्योरेंस नहीं मिलने से कई स्टेशन मास्टर तथा फ्रंटलाइन स्टॉफ काल के गाल में समा गये. प्रभावित परिवारों को मुआवजा तक नहीं मिला. ऐसे रेलकर्मियों की सुविधा बढ़ाने की जगह रेलने ने उनके रात्रि ड्यूटी भत्ता पर भी सीलिंग लगा दिया है जिससे रेल प्रशासन के प्रति नाराजगी गहरी हो गयी है. इसके विरोध में देश भर के 8500 स्टेशनों पर मोमबत्ती जलाकर स्टेशन मास्टरों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए रेल प्रशासन को चेतावनी दी है.

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