नई दिल्ली, 07 सितम्बर। देश के कोल सेक्टर के कामगारों के मध्य इस वक्त दो मुद्दों पर चर्चा चल रही है। एक 11वें वेतन समझौते को लेकर एवं दूसरा परफॉर्मेंस लिंक्ड रिवार्ड यानी बोनस। दोनों ही विषय अभी आंकलन और अनुमान की स्थिति में है। इधर, कोल सेक्टर के ठेका श्रमिकों के बोनस को लेकर भी चर्चा हो रही है।

मंगलवार से सोशल मीडिया पर भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी की कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी (Coal Minister Pralhad Joshi) के साथ मीटिंग करते हुए तस्वीर वायरल हो रही है।

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वायरल हो रही इस पोस्ट में बताया जा रहा है कि श्री रेड्डी ने कोयला मंत्री से मुलाकात कर आग्रह किया है कि दशहरा से पहले कोल इंडिया, एनएलसीआईएल एवं एसीसीएल में नियोजित ठेका श्रमिकों को न्यूनतम 10 हजार रुपए बोनस का भुगतान किया जाए। पोस्ट के अनुसार कोयला मंत्री ने संबंधित कंपनियों के अधिकारियों से चर्चा करने और उचित निर्देश जारी करने आश्वस्त किया है।

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कोयला कामगारों के बीच यह चर्चा है कि बीएमएस के कोल प्रभारी श्री रेड्डी ने कोयला मंत्री से क्या केवल ठेका श्रमिकों के बोनस को लेकर ही चर्चा की? कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते और इससे जुड़े मुद्दों पर भी बात की गई? यदि इस संदर्भ में कोई चर्चा हुई है तो इसकी जानकारी साझा की जानी चाहिए।

यहां बताना होगा कि कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीआई की छह बैठकें हो चुकी हैं। इनमें कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका हैै पूरा मसला मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) पर आकर रूका हुआ है।

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6वीं बैठक में प्रबंधन ने 10 फीसदी एमजीबी का ऑफर किया, जबकि यूनियन ने 30 प्रतिशत एमजीबी की मांग रखी। कहा जा रहा है कि डीपीई की गाइडलाइन की वजह से एमजीबी पर निर्णय नहीं हो पा रहा है।

बीते माह छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल आगमन के दौरान बीएमएस कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा था कि वेतन समझौते में DPE (Department of Public Enterprises) कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि डीपीई को लेकर कुछ संगठनों द्वारा बाधा खड़ी की जा रही है।

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