खैरागढ़ उपचुनाव : भाजपा ने कोमल जंघेल पर फिर खेला दांव, कांग्रेस की यशोदा से होगा मुकाबला

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने यहां से कोमल जंघेल को मैदान पर उतारा है। 2018 के चुनाव में भी वे भाजपा के प्रत्याशी थे।

रायपुर, 23 मार्च। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने यहां से कोमल जंघेल को मैदान पर उतारा है। 2018 के चुनाव में भी वे भाजपा के प्रत्याशी थे। कांग्रेस ने इस सीट से श्रीमती यशोदा वर्मा को मैदान पर उतारा है।

खैरागढ़ उपचुनाव के लिए 17 मार्च से प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिले की अंतिम तारीख 24 मार्च निश्चित है। 12 अप्रेल को मतदान होगा और 16 अप्रेल को मतगणना होगी।

खैरागढ़ विधानसभा सीट बीते साल नवम्बर में विधायक देवव्रत सिंह के निधन से रिक्त हुई थी। 2018 के चुनाव में देवव्रत सिंह ने खैरागढ़ का चुनाव अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की टिकट से जीता था। उन्हें 61 हजार 516 मत मिले थे। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गिरवर जंघेल को तीसरा स्थान मिला था। 60 हजार 646 मतों के साथ दूसरे नम्बर पर भाजपा के कोमल जंघेल थे।

बीजेपी ने पूर्व विधायक व संसदीय सचिव कोमल जंघेल पर एक बार फिर भरोसा जताया है. जंघेल इसके पहले भी बीजेपी के ही टिकट से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं. यह उनकी पांचवी पारी होगी। कोमल जंघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं। 2018 में विधानसभा के आम चुनाव में कोमल जंघेल कांग्रेस के लहर के बीच अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। वे महज 870 वोट से चुनाव हारे थे। कोमल जंघेल दो बार के विधायक रहे हैं। लोधी समाज को महत्व देते हुए एक बार फिर बीजेपी ने जंघेल को मैदान में उतारा है।

जोगी कांग्रेस ने भी की अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा

जोगी कांग्रेस ने भी खैरागढ़ उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। जोगी कांग्रेस ने खैरागढ़ उपचुनाव के लिए नरेंद्र सोनी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। नरेंद्र सोनी पेशे से वकील है, साथ ही सामाजिक कार्यों में हमेशा एक्टिव रहते हैं।

चौथा उपचुनाव जीतने की चुनौती

कांग्रेस के राज्य की सत्ता में आने के बाद तीन उपचुनाव हुए हैं। 2019 में चित्रकोट एवं दंतेवाड़ के उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। अजीत जोगी के निधन से रिक्त हुई मरवाही सीट के लिए उपचुनाव में भी कांग्रेस काबिज हो गई थी। मरवाही के उपचुनाव के दौरान खैरागढ़ से जेसीसी विधायक देवव्रत सिंह ने कांग्रेस को समर्थन किया था।

खैरागढ़ का उपचुनाव भूपेश सरकार के लिए एक चुनौती होगी। उत्तरप्रदेश सहित चार राज्यों में भाजपा की जोरदार वापसी हुई है। इन राज्यों के परिणाम ने भाजपाइयों में जोश भर दिया है। राज्य में भाजपा धीरे- धीरे आक्रामक होते जा रही है।

भूपेश बघेल के लिए खैरागढ़ को जीतना इसलिए जरूरी होगा क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ता में होने की वजह से कांग्रेस को उपचुनाव में लाभ मिल सकता है। भाजपा की भी कोशिश इस उपचुनाव को किसी भी स्थिति में जीतने की होगी।

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