धनबाद, 07 जून। इंटक से सम्बद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के महामंत्री एके झा ने जारी बयान में कहा है कि भारत सरकार का कोयला मंत्रालय बड़ी चालाकी से चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत कोकिंग कोल लिमिटेड को अपने निशाने पर ले रही है।

सरकार का यह फैसला कि बीसीसीएल को पूंजीपतियों के हवाले कर दिया जाए, जो कि किसी भी स्थिति में देश हित में नहीं है। सरकार का यह फैसला ना तो कोयला उद्योग के हित में है, ना ही कोयला मजदूरों के हित में। निजीकरण के प्रयास में कोयला मंत्रालय ने बीसीसीएल के 25 फीसदी पूंजी विनिवेश का निर्णय लिया है। इसका आत्मघाती प्रभाव इस कंपनी के हालात पर पड़ेगा, रोजगार के अवसर पर पड़ेगा, मजदूरों की सुविधाओं पर पड़ेगा, मजदूरों के वेतनमान पर पड़ेगा, कंपनी पूंजीपतियों के हाथ में कैद हो जाएगी।

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श्री झा ने कहा कि आज से 51 वर्ष पूर्व देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा जी ने दीपावली की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करते हुए 17 अक्टूबर, 1971 को देश के तमाम 464 कोकिंग कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण किया था। देश के मजदूरों के हाथों में भारत कोकिंग कोल लिमिटेड कंपनी को सुपुर्द किया था। उनके एक आदेश मात्र से 1,78,000 मजदूरों को सरकारी नौकरी मिली थी।बाद के दिनों में देश के तमाम नन-कोकिंग कोयला खानों का 23 जनवरी, 1973 को राष्ट्रीयकरण किया गया और इस प्रकार पूरे देश में कोल इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई गई। सरकार के इस फैसले का ना केवल देश के मजदूरों ने बल्कि पूरे विश्व के मजदूरों ने इंदिरा जी के इस साहसिक फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया था।

वर्तमान भाजपा सरकार जिसने संसदीय चुनाव में देश के मजदूरों से यह वादा किया था कि हम सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को मजबूत करेंगे, सोर्स आफ एंप्लॉयमेंट डिवेलप करेंगे, इंटर-स्टेट आर्थिक विषमता को दूर करेंगे, और मजदूरों की जिंदगी में खुशियां लाएंगे। सरकार आज अपने वायदे से मुकर गई है। सरकार ने चंद पूंजीपतियों के लाभ के लिए, कारपोरेट घरानों के लाभ के लिए, रोजगार के सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं।

इंटक नेता ने कहा कि कोविड-19 में सरकार ने भारत बंद का फैसला लिया, इसके बावजूद भी कामगारों अनुशासन में रहकर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के उत्पादन को घटने नहीं दिया। बीसीसीएल सहित कोल इंडिया की सभी कंपनियां देश के विद्युत संयंत्रों को चलाने में सक्षम है। हमारी सरकार ने नीतिगत फैसले कर प्राइवेट थर्मल पावर प्लांट की बढ़ोतरी की है सरकारी पावर प्लांट की उत्पादन क्षमता को कम कर दिया गया, दूसरी ओर कोल ट्रांसपोर्टिंग प्राइवेट कारपोरेट के हाथों में दे दिया गया, परिणाम स्वरूप प्राइवेट कंपनियों ने देश की जनता का आर्थिक शोषण किया है, बिजली के रेट में बढ़ोतरी की है, ट्रांसपोर्टिंग में कोयले की हेराफेरी की रिपोर्ट आई, देश बिजली के संकट से गुजरने लगा, हर राज्य आज बिजली संकट से गुजर रहा है, इसके पीछे कोल इंडिया लिमिटेड कहीं से भी गुनाहगार नहीं है। झारखंड की धरती पर स्थित भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के 25 फीसदी विनिवेश का निर्णय भाजपा सरकार की पूंजी परस्त नीति है। इसी नीति का शिकार दुनिया के देश जापान और कोरिया हो चुका है जिसको पूरा विश्व जानता है।

श्री झा ने कहा की बीसीसीएल का निजीकरण करना राष्ट्रीय अपराध होगा। सरकार की चुनौती को स्वीकार करते हुए हमें अनिश्चितकालीन हड़ताल के निर्णय पर जाने का फैसला लेना होगा। क्योंकि महात्मा गांधी जी ने कहा था कि जब देश की संपत्ति बिकने लगे, सत्ता पर बैठे लोग दबाने का काम करें, संसद आपकी आवाज ना सुने तो आप अपनी आवाज बुलंदी के साथ सड़कों पर लगाएं, सड़क की आवाज संसद के फैसले को बदलने में कामयाब होती है।

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श्री झा ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन हर एरिया पर सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रथम चरण में धरना देगा, उसके बाद बीसीसीएल मुख्यालय पर हम धरना देंगे।

श्री झा ने बताया कि राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष एवं विधायक कुमार जय मंगल (अनूप सिंह ) बीसीसीएल के सीएमडी मिस्टर सुमिरन दत्ता से मिलेंगे। बीसीसीएल के विनिवेष को लेकर कोल इंडिया के चेयरमैन एवं डायरेक्टर पर्सनल से भी उन्होंने बात की है। झारखंड के मुख्यमंत्री से सारी बातों को बताते हुए उनसे आग्रह किया है कि कोयला उद्योग के हित में, झारखंड राज्य के हित में देश के कोयला मंत्री से इस विषय बिंदु पर विस्तार से बात की जाए।

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